The Hindi poetry Diaries

कैद जहाँ मैं हूँ, की जाए कैद वहीं पर मधुशाला।।८८।

क्या कहता है, website रह न गई अब तेरे भाजन में हाला,

नशा न भाया, ढाला हमने ले लेकर मधु का प्याला,

और जलूं उस ठौर जहां पर कभी रही हो मधुशाला।।८३।

दे मुझको वो कान्धा जिनके पग मद डगमग होते हों

जग जर्जर प्रतिदन, प्रतिक्षण, पर नित्य नवेली मधुशाला।।२३।

छक छक, झुक झुक झूम रही हैं, मधुबन में है मधुशाला।।३५।

प्रति प्रभात में पूर्ण प्रकृति में मुखिरत होती मधुशाला।।३६।

प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,

बड़ी पुरानी, बड़ी नशीली नित्य ढला जाती हाला,

किसी ओर मैं आँखें फेरूँ, दिखलाई देती हाला

कभी उजाला आशा करके प्याला फिर चमका जाती,

क्या पीना, निर्द्वन्द न जब तक ढाला प्यालों पर प्याला,

दिन को होली, रात दिवाली, रोज़ मनाती मधुशाला।।२६।

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